Monday, August 30, 2010

Shakkar se meethi tu.... (You are sweeter than sugar)

"Love" brings about a gamut of emotions that make you ponder over lot of things. One such things that make you speechless is to describe the beauty of your beloved. Beauty as they say is more beautiful as it is gift wrapped in love. The poem that I am penning down is one of the instances where you lose words describing beauty of your beloved.



इस तरह दिल में दर्द उठा है
की जैसे आज बरसात रो पड़ेगी
खलिश कोई है यु तेरे बिना
की तन्हाई भी चादर ओड़ सो पड़ेगी

तेरे बिना मै तारों को देखता नहीं हूँ,
तारों से मुझे तेरी आँखें याद आती है
तेरे बिना जैसे कहीं ....सूरज की किरने
अंधेरो का फ़रियाद कर जाती है |

क्या कुछ नहीं है दुनिया में
पर आँखों को मेरे क्यूँ तेरा इंतज़ार है ;
प्यार जो अभी भी है एक तरफ़ा
उस प्यार पे अभी भी एतबार है |

शेहेर में एक अफवा सी है
के शायद तुम्हे मुझसे प्यार नहीं
मेरा प्यार जग-ज़ाहिर नहीं है
उस बात से मुझे इनकार नहीं |
मेरा प्यार एक एहसास है दिल का
नहीं है ये कोई कदा इम्तेहान ;
तुम्हारे संग जिऊँगा सातों जनम है यह वादा
फिर क्यों दूं मैं तुम्हारे प्यार में जान ?

संभाल के रखा है अभी भी मैंने
वो रेशमी रुमाल तुम्हारा ......
इंतज़ार मुझे सिर्फ है उस पल का
जब आएगा वो साल दुबारा
जिस साल सोचा था यु मैंने
की तुम्हे मैं दूंगा अपना दिल
तुम्हारे साथ मैं जिया तो फिर
ज़िन्गागी भी लगेगी एक महफ़िल .....

तुम्हारी याद आते ही क्यूँ
आसमान भी कुछ नम सा हो जाता है
ठिठुरती ठंडक हो या कडकडाती धुप
दिल में सावन का मौसम सा हो जाता है |
देखते ही तुम्हे मेरी धड़कने
बिजली सी गिराती है मेरे सीने में
क्या कहूं मैं तुमसे मेरे महबूब
तुम्हारे बिना मज़ा नहीं है जीने में |

वो जुल्फें तुम्हारी जब लहराती है
दिल में मेरे हवा सी चलती है
हाथों के नाख़ून जब तुम्हारे दाँतों टेल आते है
तुम्हारे सोच में मेरी पुरी दुनिया घुलती है |
पलकों का झपकना तुम्हारा
दाँतों टेल होठों को दबाना .......
रहने देता नहीं मुझे मेरी दुनिया में
कर देता है मुझे कहीं और रवाना .....

कोफी के कुछ काली बूँदें
जब कभी तुम्हारे होठों पर घर बनाते है
गोरे से मुखड़े पर तुम्हारे वो बूँदें
काली घटाओ का राग सुनाते हैं |
नशा तुममे इतना है की पीना मेरा छूट गया
साकी, महखाना अब देखे राहें मेरी
नशीला शाम भी आखिर रूठ गया |

अजीब मुझे लगता है जब
मिठाई तुम कोई खाती हो ......
चाशनी तो तुम खुद ही हो , फिर
अपने - उसमे कैसे फर्क कर पाती हो ?
शक्कर , शहद .....सब एक तरफ है
एक तरफ है वो मुस्कान तुम्हारी
वो आँखें जो कहती बहुत है न कहके
वो आँखें हैं पहचान तुम्हारी |

और कहूं क्या मैं, अलफ़ाज़ मुझे मिलते नहीं
गाना चाहता हूँ मैं .....पर तेरे ख्याल जितने मीठे
साज़ मुझे मिलते नहीं |

Go on appreciate her .....and find more words.

Love,

Kalyan

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