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आज आसमान की बुलंदिओं पर
पूनम का चाँद इतराता है ,
तुम्हारी आँखों में देख कर तुम्हे कुछ कहने को
ये दिल आज भी क्यों कतराता है,
प्यार कहीं किसी कोने खेलती है आँख मिचोली
मन कहीं फिर भी उसे छुपाता है |
तुम्हारे नज़रें बयां करती है मुझे
कहीं न कहीं तुम्हारे दिल का हाल ;
मैं कहीं खड़ा हूँ तुम्हारे पास और तुम मेरे पास
बीच में बुन रहा है कोई प्यार का जाल |
कहता तुम्हे कुछ नहीं हूँ ....पर मेरा प्यार तुम्हे बुलाता है
दिल कमबख्त फिर भी तुम्ही से छुपाता है |
पैरो की आहट सुनने पर
क्यों धड़कन कुछ थम सी जाती है ?
वो आहट जो न हो तुम्हारी
तो आँखें फिर क्यों नाम सी जाती है ?
तुम्हारे दीदार को यह दिल हज़ार बहाने बनाता है
फिर भी कही दिल तुम्ही से ये बात छुपाता है |
तुम्हे देखके आते हुए दूर से
थमती है ज़िन्दगी की रफ़्तार ,
जब लगता है की मैं हूँ आज़ाद तब
होता हूँ तुम्हारी नज़रों में गिरफ्तार |
तुम्हारे आने पर ....ये दिल यूँ ही लुभाता है
पर दिल का क्या करू जो तुम्ही से बात छुपाता है |
होती जो तुम नहीं पास कहीं
एक बिजली सी गिरती है कहीं इस दिल के पास,
जुदाई में तुम्हारे मैं आंसूं इतने बहाता हूँ ,
आँखों की नमी कराती है प्यार का एहसास |
बातें है इतनी .....खामोश लम्हों में...दिल चुप रहता है
बातों का मोल क्या जब ये दिल तुमसे बात छुपाता है |
आज जो पलटता हूँ मैं पन्ने इस दिल के,
कोरे से कुछ कागज़ दीखते हैं क्यों ?
उन अन-लिखे कागजों के सफेदी में
मेरे सपने सियाही से लिखते है क्यों?
प्यार का फ़साना जो बीत गया .....
दिल आज वोही फ़साना दोहराता है.....
प्यार इतना था ... की पूछो नहीं
पर आज भी तुमसे प्यार छुपाता है |
दिल गूंगा है ......इसलिए धडकनों से काम चलाता है
समझती जो तुम धडकनों को ......फिर जानती तुम
ये दिल .......क्यों बात छुपाता है .............
So speak up before it is too late.
Love,
Kalyan
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