Wednesday, August 25, 2010

Tumse Milna Dobaaraa.....(Seeing you once again...)

Sometimes you can get into a very uncomfortable state when you suddenly meet someone you loved before but then time didn't allow your relationship to go ahead. It engrieves you even more to see that probably if something could have been done from your side there could have been a kind of improvement in the state and there would have been no seperation at all, however you just can't help it. This poem of mine talks about a similar kind of a story.




आज मुझे इन वादियों ने क्यों घेर लिया है
रंगों ने कहीं मुझसे मुह फेर लिया है
तेरे केसू से काले बादल आज बरसाते हैं पानी
तेरे प्यार से शायद महरूम सी रह गयी मेरी जवानी |



अचानक तुझे इस मोड़ पे देखके मैं हूँ परेशां
सोच मेरी रुक सी गयी हैं और हूँ मैं बेजुबान
हमने कभी खेली थी इश्क की आँख मिचोली
आज उस इश्क पे क्यों बांध हैं दोनो की बोली |
प्यार कहीं आज छुप सा गया हैं बादल के पीछे
लाभों की लाली आज कहीं हैं लाभों के नीचे
मेरे - तेरा दिल कुछ इस तरह करते हैं बातें
जैसे रौशनी चीरती हों काली रातें |



कहना तो बहुत कुछ चाहती हो तुम
पर ज़बान साथ नहीं देती आज
कुछ उलझा सा मैं हूँ इस कशमकश में कहीं
पर हाथों में मेरे तू हाथ नहीं देती आज |
क्या हुआ? पता नहीं , पर सोचता हूँ
वक़्त ने जब ली थी करवट
मैं शायद समझ नहीं पाया
की क्या हैं प्यार और क्या हैं बनावट |




आज मिली हो तुम मुझसे
तो मुझे भूलने पर हो शर्मसार
मेरे माजी को तो फिर उभारती हो क्यों
क्यों करती हो आज भी मेरा इंतज़ार?
हमने अलग की थी जो राहें
उन राहों को आज क्यों मिला रहीं हो?
मेरे ज़िन्दगी की तार बड़े नाज़ुक
हैं उन तारों को क्यूँ हिला रहीं हो ?




वो चौराहा देता है गवाही
मेरे तेरे बिछड़ने का
वक़्त गिन गिन के लेता है बदला
वक़्त की चाल को छेड़ने का
देखता हूँ मैं की आगे मैं आ गया हूँ
तुम अभी भी कहीं उस चौराहें पर हो
मुझे मुझसे दूर करके भी
तुम सिमटी यूँ आपनी बाहों में हो |




मुझे देख के आज तूम फिर सेफैलाती हो क्यूँ बाहें?
अलग हैं आज मेरी राहें ......तुम्हारी राहें.........
सावन को मैं फिर भी रोक लूँगा बरसने से
पर तरस मैं जाऊँगा फिर भी तेरे तरसने से |
मत लो तुम यूँ मेरे सब्र का इम्तेहान
पत्थर जितना सख्त नहीं हैं मेरी जान |
तुमने तो आज भी जंग छेड़ने का किया हैं फैसला
पर इस जंग को लड़ने का नहीं हैं मुझमे हौसला |




इस उम्मीद पर आज मैं लेता हूँ तुमसे अलविदा
की अब कभी मिले किसी जनम में तो न हो हम जुदा .........

Remember it is always good to mend a relationship than actually slap on it.

Love
Kalyan

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