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इस तरह से आज सावन ने छेड़ा है राग,
दिल में कहीं देहेक उठी वो पुराणी आग
मुझे इन बूंदों से कोई बैर नहीं है
मेरे सपने ही कुछ ऐसे है की उड़ते है वो
उनके पैर नहीं हैं |
सूरज आज कहीं छुप सा गया है
बादल ने उसपे पर्दा सा डाल दिया है
सुबह के धुंधलेपन ने कहीं
मेरे सपनो का भी ये हाल किया है |
तुम्हारी बोली जो शहद सी टपक रही तुम्हारे होंठों से
वो मोती से लफ़्ज़ों ने मुझे निहाल किया है
क्या बताऊँ आज तो सावन ने भी
बिन बताएं कुछ कमाल किया है |
सीधी बातें आज कहीं लेती है अंगडाइयां
मुझे पहेलियों ने तुम्हारी बेहाल किया है |
आँखों से तुमने जो किये इशारे
उन इशारों ने भी कमाल किया है |
क्यों लगता है की मद्धम सी कहीं हवा चल रही है
नीले लिबाज़ में तुम कर रही हो इंतज़ार
समंदर के किनारे खड़ी हो तुम अरमानो को बांधे
लहरें भी तुम्हारे सपनो से होती हैं शर्मसार |
आता हूँ जब मैं तुम्हारे करीब तो
सागर कुछ देर के लिए थम सा जाता हैं;
बाँहों में तुम्हे लेके यूँ जब मैं देखता हूँ गहरे समंदर को
बंजर सा मेरा जीवन भी कहीं नाम सा जाता है |
ज़माने को खबर न हो इस तरह तुम
मेरे दिल को रोज़ देती हो आवाज़
शोर में कहीं खामोश प्यार दब न जाएँ
इसलिए इश्क को बनाके रखती हो राज़ |
ख्वाबों का लेकिन मैं क्या करू
ये कभी भी आ जाते हैं बे रोक टोक
यह कुछ सावन की तरह है
जो जश्न मानती है बरसात का
नहीं मानती गर्मी का जाने का शोक |
जिन्गदी में न रहो नो न सही
सपनो से तुम्हे कैसे भुला दूं
मैं जानता हूँ की वो समंदर का नज़ारा नहीं हैं सच्चाई
पर ख्वाब इतने हसीं जब आये
तो खुद को कैसे सुला दूं |
When dreams are so beautiful, then one really doesn't want to sleep.
Love,
Kalyan
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