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ज़बान ने कल जो आग उगले थे
वो आग की लपटे क्यों मुझे ही जलाते है?
साथ तो तुमने छोड़ा जब सावन जोरो पे था
फिर आज अंगारे क्यों जाल फैलाते हैं?
मैंने न सोचा था की आएगा ऐसा भी दिन
जब जी भरके मैं तुम्हे मैं दूंगा बद दुया
प्यार को कहीं छोड़ के मझधार में
ये सोचूंगा...की हाय वो प्यार का आखिर क्या हुआ?
जाना तुम्हे था ही सो तुम चली गयी
फिर मई क्यों मनाऊ रुक्सत का त्यौहार ?
कोसके तुम्हे यु रात और दिन क्यों
मैं दूर करू ज़िन्दगी से हर बाग़ हर बहार ?
सोचता हूँ आज की शायद कहीं
रह गयी कमी मेरे प्यार के कशिश में ;
फिर सोचता हूँ की कैसे मुमकिन है
की बेरंग सुर आ सके इस इश्क के बंदिश में ?
कहाँ मैं सोचता था की मैं और तू
बनायेंगे एक नया आशियाँ
आज दीखते है मुझे टूटे कुछ घरोंदे,
हैं बहुत सा फासला और कुछ दूरियां |
ज़ख्मो में कुछ नमक तुम्हारे अश्को का भी है शायद
इसीलिए आज कराहता हूँ में करके तुम्हारे शक्ल को याद|
प्यार अभी भी कहीं बचा है मेरे दिल में इस पहर
शायद तभी मुझे दीखता है अँधेरे में भी सेहर |
जो आज शोले उगल रहा है ज़बान
ये तुम्हारे विरह के अंगार से जला है
दुनिया की शायद रीत ही है ये
की ज़ख्मो के साये में हर आशिक पला है |
Whatever happens you cannot curse the person you love. Even if you have cursed her on her betrayal it is just an emotional outburst.
Kalyan
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