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आँखें मेरी बंद होती है,
तो कहीं न कहीं दीखता है तेरा चेहरा,
बरसात की कुछ बूँदें, कुछ अनसुनी सी आवाजें,
खुशनुमा बनती हैं, बांधके मेरे सर पे सेहरा |
यकीन नहीं आता मुझे की कब
तेरे प्यार में हो गया मैं गिरफ्तार,
क्यों आज वक़्त थम गया हैं,
धीमी आहटों ने बाँध दी हा रफ़्तार|
ग़म मुझे जब होता है,
तो याद करता हूँ मैं तेरा मुस्कुराना,
वोह चुप के से तेरी आँखों से,
मुझे कुछ हज़ार दास्ताँ कह जाना |
क्यों आज मद्धम लगती है मुझे,
हर रौशनी जो चमकने का करती हो दावा,
क्यों मेरे कानो में आती हर आवाज़,
कहीं न कहीं सुनती है तुम्हारा बुलावा?
वोह इस तरह कभी तेरा रूठ जाना,
मेरे दिल को करता है क्यों बेकरार?
वक़्त की हर चाल पर भी क्यों,
मुझे रहता हैं तुम्हारा इंतज़ार ?
ज़मीन मुझे कम पड़ती हैं,
इसलिए तेरे प्यार ने मुझे पर लगा दिए|
आसमान मेरा घर बन गया,
तेरी नज़रों ने आज नश्तर चुभा दिए |
मैं चुप बैठा हूँ यूँ तेरे प्यार में,
की शायद तेरी आवाज़ मुझे सुनाई दे,
आँखें अब भी बंध मैं कर लेता हूँ,
की शायद तेरी सूरत दिखाई दे |
Love,
Kalyan
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