Monday, December 19, 2011

दिल का रेगिस्तान (Dessert of Heart)



रुलाया तुमने दिलको मेरे जब
दिल में कहीं हसीं की कमी थी .....
आँखें तो फिर भी लगते थे सूखे सूखे से
क्योंके दिल में तेरे चोट की नमी थी ......

चाहत सिर्फ मुझे नहीं पर तुमको भी तो थी सनम
जिस चाहत का भरते थे दम अब उके ही तुमने तोड़े कसम

खैर छोडो ये बेकार की बातें
पत्थर कभी बातो से पिघलते कहाँ ....
वक़्त की चोट एक कील सी होती है जानिब
रेत की तरह हाथों से वोह निकलते कहाँ .....

सूखे अरमानो को शायद कहीं तेरे प्यार का था वहम
भूल गया था नादान दिल ये की तेरे इरादे है बे रहम ....

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