Wednesday, January 4, 2012

बातें दिल की ......(Heart talk)




कहने भर से कोई कहाँ दिल के पास आता है
दिल का हाल तो बस एक दिल ही
दुसरे दिल को सुनाता हैं ......

पूछता है ये सवाल कई पर आखिर कहीं बोख्लाता हैं
के जवाब जो थे वो रह गए दिल में
दिल अपनी बात सुनाता हैं .....

दिल की आवाज़ को कोई रब की दरकार नहीं
प्यासा है ये एक दिलबर के नजर - ए - करम का
खुदाई से इसे सरोकार नहीं .......

बूँद के गिरने के आहात इस दिल को झंझोरती क्यों
आखिर एक पत्ते की सरसराहट इसे मरोड़ती क्यों ?
सवाल ये नहीं के क्यों इतना कमज़ोर है दिल
एक अफ़सोस के इस दिल को, करने का मज़बूत कोई औज़ार नहीं .....

नाज़ुक है दिल ये तो क्या
नज़ाक़त की क्या कोई औकाद नहीं .....
टूटते कुछ चीज़े बस यूँही
जिन्हें तोड़ने को चाहिए फौलाद नहीं ....

जंगल भले हो खामोश पर
अंदाजा खतरे का होता ज़रूर हैं
उसी तरह खामोश दिल के किसी कोने में
होता मोहब्बत का सुरूर हैं

उस दिल को जो कहीं लगी ठेस तो
बगावत बे ज़माने तो हैरत क्यों हैं ?
दिल जो चोट पहुँची वो एक दिल से ही है,
आखिर हर दिल की ये फितरत क्यों हैं ?

समेटे टूटे हुए दिल को जो फिर
वो टुकड़े फिर जुड़ते नहीं हैं ....
राह पे जो चल दिल का मुसाफिर तो फिर वो
राह से मुड़ते नहीं हैं ......

बातें दिल की हैं बहुत
पर दिल बातों से बेहेलता नहीं
के दिल की जुबां एक दिल ही जाने
बेहेलावो से वो संभालता नहीं

)

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