Thus, sometimes roses of love become like that of made from paper, which have the facade but not the content.
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साँसों के आने जाने पर किसीने रोक लगा दिया
तुम्हारे आहतो ने क्यों जीने पे रोक लता दिया ?
बेवक्त मुझे तुमने हर वक़्त किया परेशान
मेरे दिल के तुम बने हुए हो बिन बुलाये मेहमान ....
न चाहते हुए भी मुझे तुम्हे क्यों पड़ा चाहना
रोनी सी सूरत में भी क्यों हालात पे पड़ा हसना ?
परेशान करते हमेशा मुझे तुम्हारे लाजवाब सवाल
बेफिजूल मचा है क्यों मेरी ज़िंदगी में बवाल ?
संभालते किसको आखिर हम दिल तो हमने खो दिया,
आग की लटो में तुम्हारी हमने ज़िंदगी पिरो दिया ....
उस ज़िंदगी को मैं फिर से कहीं जीना चाहता हूँ ...
पूरा महखाना नहीं पर मह के कुछ पैमाने पीना चाहता हूँ .
पल भर के लिए ही सही पर तुम्हे चाहता हूँ मैं भूल
कब तक बहलाऊंगा दिल को देख प्यार के कागजी फूल ....
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