Wednesday, December 14, 2011

From Confusion to Clarity......

Many a times our lives are filled with confusion. Our thoughts may be revolutionary but then they are contained and constrained by the rules of the world around us. In such a state arises confusion. This confusion may be deadly....It actually eats you up from within. However, when we kind of mask all the constraints of the world and believe in what we think of then there is clarity. Success and Failures are a function of this confusion and clarity....When we are clear then success is inevitable...however a confused state of mind always feels the burden of failure even though there has been an achievement of success in it.








ज़िंदगी के सफ़र में कहीं मैं थक जाऊं
तो मुझे, मेरे खुदा थोडा सहारा तुम देना ...
समंदर में छोड़ा तुमने है मुझे तो फिर
इस सागर में किनारा भी तुम देना .....

जानता हूँ मैं की काम मेरा मुझे ही तो है करना
पर बेसुरे साजो के बीच क्या जीना, क्या मरना

पता मुझे लगता नहीं क्या सच है क्या झूठ हैं
हर ख्वाहिश की लहरें सच्चे पत्थरो पर गए टूट हैं ...

सारा जहाँ छीखता है, कहता है के वोह मेरा हैं ...
अंधेरी गलियां कहती हैं "इस मोड़ के बाद सवेरा हैं"
क्यों मानु मैं बातें उनकी, बातें उनकी बातें हैं बस .....
सवेरे के झांसे में देते वोह काली रातें बस ....

ज़माने की आदत है बढ़ चढ़ के बातें करना
बेवकूफी है यूँही ज़माने के बातो पे मरना ...
लोग तो खैर लोग है कुछ भी वोह कहेंगे ...
ताले मेहेंगे है बाज़ार में जुबां पर कैसे लगेंगे

फिर भी ऐ दिल तू क्यों सुनता ज़माने के ताने ?
क्यों तेरा दिल हर झूठ को सच माने ?
सच क्या है ? क्या हैं झूठ इस जहाँ में
तेरा दिल क्या जाने ???

हसरतों के जाल में तू फसा है इस तरह
मांगो के दल-दल में तू धंसा है इस तरह
जैसे कोई भवरा फस हो गेंदे के फूल के बीच
जैसे कोई रु फासी हो नुकीले शूल के बीच

रूह को अपने तू कर आज़ाद
छोड़ खुला उसे इस नीले आसमान में
तोड़ बंदिशे तू अपने जिस्म की और
परिंदा बन उड़ इस सारे जहाँ में ....

न सूरज की तपीश न चांदनी चाँद की
रोके तुझे अब ऊंचा उड़ने से .....
खुदा भी अब खुद को रोक न पाए
तुझे उससे जुड़ने से ......

समंदर को न देख तू इस तरह
जैसे के वो हो कोई पानी का अम्बार
नजरो को अपनी तू बढ़ा इस तरह
एक छलांग में कर समंदर पार .....

सोच को अपने पर दे तू अब
उड़ ऊंचा खुले अम्बर में
कोई न हो रुकावट तुझको
इस आसमानी सफ़र में ....

जब तू खुद करेगा होसला
तब ही तेरी किस्मत खुलेगी
अगर तू हिला नहीं अपने जगह से तो
कैसे खजाने की चाबी मिलेगी ????

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