With the onset of Winter in India...this poem is about Love...pain and its co-relation with Winter. After a long hiatus I have written this short poem....trying to burst my stress....
हवाओं ने आज जो दिया है
एहसास कुछ सर्द हैं.....
प्यार तुमसे है मुझे मगर
दिल में फिर भी दर्द हैं ......
खिड़की मेरे जज्बातों की
खुले तो....आई ठंडी हवा
ज़ख्मो ने कहीं कहा मुझसे
दर्द में ही तू ढूँढ दवा ....
ठण्ड है कुछ यूँ दिल में
रूह को सर्दी हो गयी
इस सर्दी के मौसम में
गर्म राहें खो गयी ....
साँसों के अंगार अब
लगते है सर्द आहें
सर्दी के मौसम में कहीं
सिमटी तेरी बाहें ....
उन बाहों को शायद
इंतज़ार है बहार का ...
दबे सुरों को शायद आज
दरकार है मल्हार का ...
फर्क नज़र आता नहीं मुझे
रकीब कौन है...कौन हमदर्द है ...
प्यार मुझे भी है मगर
दिल में मेरे दर्द है .......
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