Tuesday, December 13, 2011

दर्द नहीं.....पर फाँस हैं....(The pain lingers on......)

About 3 months ago I had written a poem by the title of "Saans abhi baaki hain" meaning that we still live on inspite of something that actually happens that doesn't allow us to live. However, there is always a pain involved and that lingers on in our lives, which I had not mentioned in that poem. Some moments back I realised that how it is to actually lose something then continue with life and then actually be detatched from it....Impossible.....Humanly Impossible.....There is always some pain...some pathos attached to the losing that lingers on with you.

This pain is more like a termite that eats you up from inside, slowly and steadily. It makes you take incoherrent decisions and sometimes make you lose the balance between the mind and the heart. Actually it is more like a thorn in the heart. All of us are actually staying with many such thorns in our hearts but living. Knowing that one day we will stop living also but carrying this thorn throughout our lives to our graves. The worst part is that you can never remove the thorn from your heart because in the process of removing that you hurt yourself fatally. You actually feel no pain but you feel the sting of the thorn that is clinging to your heart.

My poem below is all about that.



तुमसे जुदा होकर भी कहीं एक
तुमसे जुड़ा एहसास हैं बाकी ....
की दर्द दिल में अब होता नहीं पर
कहीं एक फाँस है बाकी......

गुलाब का वो फूल जो
देता मेरे मोहब्बत की गवाही
उन मुर्झे हुए पंखुडियो में
जैसे गिरी हो वक़्त की स्याही
कैसे कहूं तुमसे की ख़ामोशी में भी अब है आवाज़ बाकी
दर्द दिल में अब होता नहीं पर कहीं एक फाँस है बाकी ....

खिड़की के परे से देखना तुम्हे
फिर देखके मुझे तेरा बनना अनजान
कहती हो तुम्हे नहीं मेरा इंतज़ार पर
बस है इंतज़ार का गुमान .....
गाडी के काले धुए के परे रोशनी की आस है बाकी
दर्द दिल में अब होता नहीं पर कहीं एक फाँस है बाकी

ज़माना मुझे कहता है आज भी
तुमसे प्यार नहीं करेगा मंज़ूर कभी
जानता मैं हूँ की प्यार नहीं आसान पर
प्यार किया है इसका गुरूर है अभी ....
वस्ल की नाकामी पर फ़तेह की प्यास है बाकी
दर्द दिल में होता नहीं पर कहीं एक फाँस है बाकी ......

इस दुनिया के परे एक और दुनिया हैं
जहाँ सच नहीं .....जहाँ झूठ नहीं.....
जिस बंधन को देखो बंधा शान से है
बंधन जाता जहाँ टूट नहीं .....
क्या पता फिर भी अगर हो मुलाक़ात उस दुनिया में
करूंगा तुमसे फिर मैं खामोश कुछ बात उस दुनिया में ....
फिर से कहीं करूँगा शुरुवात मैं कहानी जो अधूरी हैं
आऊंगा एक रूप में नए ....पर फिर आना तो ज़रूरी हैं ....
गए तुम ....जिस्म से जान गयी...पर सांस अभी भी बाकी हैं
दर्द दिल में होता नहीं पर फाँस अभी भी बाकी हैं

Do not look at those who actually remind you of the pain....however pleasant the feeling may seem to be....in the end the pain always lingers on with you.... LESSON LEARNT...

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