Monday, May 23, 2011

Saans Abhi Baaki hai (I am still alive)

Sometimes it is very remarkable as to how a person just comes out from nowhere and stays alive. This poem of mine talks about life and survival.



सहमे सहमे ख्वाबो में,
कुछ आस अभी बाकी है,
ख़त्म ज़िंदगी है सही
पर सांस अभी बाकी है |

पल पल मरते अरमानो में
कुछ सपनो की झलक है शायद,
यह कुछ गलतियां है जिन पर मेरा
अफ़सोस अभी बाकी है |
पिया मैंने बहुत तुझे पर प्यास अभी बाकी है
कहती है मौत भी मुझे की सांस अभी बाकी है ......

दम तोड़ते हैं कुछ एहसास
कुछ पल जैसे मिटते है हर पल
तुझसे लड़ा था कभी मैं
पर खटास अभी बाकी है |
तुझसे लड़ने के बाद तेरी फिरसे तलाश अभी बाकी है
तुझसे मिलना है ...रंज ही सही... सांस अभी बाकी है |

लोग मुझे देते है ताने
उंगली उठती है मुझपे हर तरफ,
उन इल्जामो में कुछ धुला हूँ मैं
दर्द का फाँस अभी बाकी है |
जानता मैं हूँ की सूखे पेड़ पर फूटने पलाश अभी बाकी है
इसी उम्मीद पर शायद सांस अभी बाकी है .............

Never give up hope.

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