Friday, September 10, 2010

intezaar banee qayamat

Waiting for the beloved is sometimes a very tedious task. Sometimes the wait itself is so lethal that it may give rise to a lot of emotions which may end up killing the love that is actually nurtured with great care. The poem that I have written is describing the same feeling. In this the wait is a fatal blow to the love.



थिरकते पैरो को आज
किसका इंतज़ार है ?
आँखों के झरोखे तो बंध है
पर दिल कहीं बेक़रार है |
की सपनो में वो है कहीं पर
सामने वो आते नहीं ;
खयालो में ऐसा कब्ज़ा बनाया,
की खयालो से वो जाते नहीं |

ठंडी सी आह कहीं दिल में आग लगाती है ,
प्यार की ठंडक ही इस आग को बुझाती है |
पूनम का जो चाँद है वो आज बादलों में शर्माता है
चांदनी में कहीं आज दिल को नहीं लुभाता है |
कौनसी वो कशिश है जो मुझे खींचती है तेरी ओर
दिखती हैं तू ही तू ......सांझ हो या भोर |

पागल सी धुप आग बरसाती है कहीं
भादों का मौसम जो आ गया
नहीं रुकती मेरे दिल की धडकने
मिलने का तुझसे पैघाम आ गया |
सुना था की प्यार कहीं छुपता नहीं
पर मेरा प्यार तुझे नज़र न आया
दिन से रात मिली, वक़्त से रफ़्तार
पर हमारे मिलने का मंज़र न आया |

सुलगती सांसे है तो कहीं है ठंडी आंहे
इंतज़ार में तुम्हारे खुली है मेरी बाँहें,
तड़प तड़प के मैंने गुज़ारे है कई रातें ,
सपने मेरे सुनते है मुझे तुम्हारी बातें |
दीवाना मैं था नहीं पर लगता ये दीवानगी है
धड़कन तो बंध गए पर दिल में आवारगी है |
सुन्न होते एहसासों को मेरे क्यों है तुम्हारी तलाश
मेरे दिल को ही देता है धोका ये मेरा दिल बदमाश |

अब मुझसे देखा नहीं जाता और तुम्हारी राह
थकते थकते कहीं मिट न जाए इस दिल में तुम्हारे चाह|


Don't make him wait longer, probably then he may not need to wait for you.

Love,

Kalyan

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