Thursday, September 16, 2010

Miley jo tum....... ( When I met you!!!!)

Viraah, a word that has a lot of repercussion in the phase of love. Love is actually a non existent entity without any kind of pain, and the pain is even stringent and stinging if it is that of being away from your beloved. A euphoria transcends over the parchy surface of heated emotions when you see the first glimpse of your beloved after a long long time. This feeling is really unparalleled and unexplainable. The poem of mine (which I am writing after a long time) actually explores these emotions.



गीली हावाएं आज मन को नम करती हैं,
लगता है रब भी कहीं आंसूं बरसा रहा है ,
तुझे देखने के लिए......बस युही दो पल कहीं,
पानी भी सावन को तरसा रहा है |

आँखों के इंतज़ार का आज आखरी पल होगा,
जब वे देखेंगे तुम्हारी एक झलक ;
रूमानी यूँ हो जाएगा हर मंज़र बंजर सा ,
गीली पलकों से नहीं मिलेंगे पलक |

चाँद सा मुखड़ा जब तुम्हारा
बरसायेगी नज़रों की चांदनी
दिल में कड़केगी बिजली मेरे
साँसों में होगी सनसनी |

फ़िज़ूल कुछ बहाने बनाके मैं
आ जाऊँगा तुम्हारे कुछ करीब ;
धड़कन धड़कन तुम्हे पुकारेगी
बन जाओगी तुम मेरा नसीब |

तुम्हारी मस्रूफ़िअत को मैं कुछ
मेरे मिलने का बनाऊंगा बहाना ;
तुम कहीं तुम्हारे वक़्त में उल्झोगी
मेरा तो यूँही होगा दिल-बहलाना |

तुम्हारे कानो में मैं घोलूँगा
प्यार का वो मीठा शहद ;
मिटेंगी जिससे सारी दूरियां
खुल जायेंगे हर सरहद |

सारे सूनेपन तोडके जब
मिलता मुझे तुम्हारा साथ है;
लगता है कुछ ऐसा जैसे
मिलने में खुदा का हाथ है |

शाम का आँचल ओढ़ता है
दिल मेरा जो बेताब है
प्यार की ठंडक....हुस्न की रोनक
जिन्दंगी के हसीं हिसाब है |

तुम मिलती हो तो मुझे आज
वक़्त की कुछ कमी सी है
सूखे सूखे अरमान जो थे
इनमे आज कुछ नमी सी है |

झिलमिल झिलमिल रौशनी में
जब दीखता है तुम्हारा चेहरा ;
कानो में तब आती है आवाज़ सिर्फ तुम्हारी
होता हूँ मैं बाकि जहाँ से बेहरा |

मिले तुम तो मुझे कुछ सूकून सा है
सोये अरमानो में आज कुछ जूनून सा है,
पल पल इंतज़ार का आज होगा खात्मा
प्यार में नहायेगी मेरी भटकती आत्मा |

पागल से बादल आज कुछ
खुशी के आंसूं बरसाते है
कुछ लोग इन्हें कहते है बारिश
जो सावन में भी तरसाते है |

मिलना हमारा हुआ यूँ की
जहाँ कुछ डोला अपने कदमो पर
खुशी के कुछ तराने बजे
खामोश ग़मगीन सदमो पर |

गर्म साँसे.....ठंडी आहे
जुल्फों का वो ताना - बाना
लुभाते मुझे हर अदा तुम्हारी
हर ज़र्रा तुम्हारा है एक फ़साना |

मिली जो तुम आज तो फिर करो वादा
मुझसे तुम दूर न जाओगी
मेरे दिल को बनके वीरान अब
कभी अपना जहाँ न सजाओगी |

Meeting after long days of seperation is really cool.

Love,

Kalyan

No comments:

Post a Comment