There are instances when you might have fallen in love and then realised that the decision was only one-sided. You might feel that you made a mistake but then would like to recollect those memories as a sweet dream. My poem below is actually speaking about the nostalgia that is involved in your later life when you recollect those memories. Sometimes you laugh and sometimes you regret.
दिन में मैंने गिने तारे
रात को सूरज का दीदार किया ,
होश खोये मैंने इस तरह
की होश में आने से इनकार किया
क्या नहीं किया जब मैंने तुमसे प्यार किया ........
कहते है लोग की कभी कभी
पत्थर भी बोल पड़ते हैं ,
चींटी में अगर हो हौसला फिर
चींटी भी पहाड़ चढते है ;
ऊंचा उड़ा मैं ; फिर उंचाई से इनकार किया
दिखा मैं बौना जब मैंने तुमसे प्यार किया ......
तकते तकते कभी रह तुम्हारी
मैंने बदलते देखा दिन को शाम में ,
तुम्हारे इज़हार का किया इंतज़ार मैंने
तुम्हारे भेजे हर पैघाम में |
कभी चिठ्ठी तो कभी तेरी आहट ने बेकरार किया
वक़्त भी कुछ हुआ बेरहम. जब मैंने तुमसे प्यार किया ......
ज़माना ख़राब है मगर
यह ज़माना आज भी हुस्न का कायल है ,
दिल मेरा लाख आवारा सही
पर आज तेरे प्यार में घायल है |
कभी रफ़ी के गाने तो कभी जगजीत को अपना यार किया
इंसान से शायर बना जब मैंने तुमसे प्यार किया ........
कोलेज के खाली वक़्त में
तुम्हे देखना चोरी चोरी
समझना की कहीं न कहीं बंधी है
मेरे साथ तुम्हारी डोरी
अपने साँसों पर मैंने तेरे खयालो का वार किया
दुश्मन खुदका बना कहीं जब मैं तुमसे प्यार किया ......
आँखें जब तुम्हारे कभी पलकें झपकाती थी
रोकता मैं खुदको अपने पलक झपकाने से
की कहीं रह न जाए नज़रों से परे वो नज़ारा
जब देखू मैं तुम्हे कुछ बहाने से
खुदसे खेली आँख मिचोली और खुदको ही बेज़ार किया
हुई मेरी खूब खिचाई जब मैंने तुमसे प्यार किया ........
सोचता जब मैं हूँ आज
तो खुद पर ज़रा मैं हस लेता हूँ ,
बंधन जो छूट गया हैं कहीं
उस बंधन को मैं कस लेता हूँ
माजी ने मेरा कभी कभी जीना दुश्वार किया
फिर कभी सोचता हूँ मैं की क्यूँ मैंने प्यार किया .........
Take Care
Kalyan.
No comments:
Post a Comment