
घुमते वोह लटो ने आज फिर
मुझे आज नींद से जगाया हैं
चका चोंध रौशनी में आज आया
हल्का सा एक साया हैं .....
सोचता है दिल क्यों आज की
फिर कहीं तू देती हैं दस्तक
क्यों आज भी मेरे तन्हाई में
कहीं होती तेरे हँसी की खट खट ...
हलके से मेरे इरादों में आज
ये कौनसी एक गहराई हैं ....
की दुबके देखता हूँ जब मैं
लगा की कहीं तू आई है .......
आज भी मेज़ के उस पार
रखा मैंने भरा जाम हैं ....
की शायद हवा के साथ आता
तेरे इश्क का पैघाम हैं ....
नशा मुझे शराब का नहीं
नशा हैं जुदाई का .....
खुदा से बेरूख हुए वो
मेरे यार के खुदाई का ...
क्या था वो हमारे बीच ?
इश्क, या कुछ और था? ....
पल भर में गुज़र जो गया
सदीओ से लम्बा दौर था ....
सहमी रातो में तेरा मेरे
करीब आकर लिपटना यूँ
फिर कहीं, कभी लाज के मारे
बाँहों में अपने सिमटना यूँ ...
कुछ बेख़ौफ़ से पल थे वो
और मौसम भी आवारा था ...
दिल्लगी अगर थी वो तो
दिल्लगी मुझे गवारा था .....
क्यों छूं कर निकल गयी
मुझे तेरी हसीं हर अदा?
क्यों आज भी याद है मुझे
तुझसे किया हर वादा ?
वादें जिन्हें मैं भूला चूका हूँ ....
हसीं कुछ चेहरे जिन्हें रुला चूका हूँ ...
देखते मुझे हैं वोह चेहरे कुछ गोर से
नज़र के ये तीर चलते हैं तेरी ओर से .....
good one kalyan!! spl.
ReplyDeleteकुछ बेख़ौफ़ से पल थे वो
और मौसम भी आवारा था ...
दिल्लगी अगर थी वो तो
दिल्लगी मुझे गवारा था ..... nice
Thank you
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