The poem below is about one such journey ....midway....that describes the beauty that lies in hair......
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हवा का झोंका कुछ मंद मंद लहराता हैं
रेशमी तुम्हारे जुल्फों का घेरा
आँखों में जाल सा फेहराता हैं ......
खुले ये बाल है तो कुछ
हालत दिलों के है नाज़ुक
रुके धडकनों पर आज ये
जुल्फें बरसाते हैं चाबुक ....
आँखों का नशा तेरा जो
तेरे ज़ुल्फ़ ने कुछ ढका हैं
बिन पिए कोई शाराबी जैसे
महखाने के पास रुका हैं ...
कौन कहता है की क़त्ल हत्यारों से होते है ...
कौन कहता हैं की मौत की होती है वजह ...
आँखों के वार से तेरे जान बहुत गयी हैं
तेरे जुल्फों के लहराने से बहुत हुए कलह
समझते थे जो इन अदाओं को
मासूम से कुछ करवटें ....
क़ैद उन नासमझो को कर लिया है
तुम्हारी जुल्फों के सिलवटें
लहराकर जुल्फों को तुम्हारा
चुपके से मुस्कुराना ...कातिल है ....
जिसे तुम....तुम्हारी जुल्फें हासिल हो
उसे न मांग कर सब हासिल हैं ......
बारिश है बहार ...काले कुछ बादल हैं
पर तेरे जुल्फों के अंधेरो में
रोशन जहाँ भी पागल हैं ......
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