Today as we have so many problems in the country it has become necessary for the Lord himself to re-incarnate.
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सुना है हमने की पाप कुछ बढ़ रहा हैं ....
सच्चाई के ढाँचे में झूट का परत
चढ़ रहा है .......
हाल कुछ ऐसा है की रक्षक ही भक्षक है
अनपढ़ जाहिल जो भी थे आज
बने समीक्षक हैं ......
देश का कहना क्या....जैसे एक दलदल है
कीचड़ के इस भंवर में कोई
ढूँढता गंगा-जल है ......
कभी टू जी ...कभी आदर्श...चोरी तो आदत है
इस चोर राज में खोता महत्व
हर एक शहादत है ..........
पूछते हम तो कहते वो के भगवान् भी माखन चोर है
हर इंसान सोचे आज यह देश आखिर
चला किस ओर है ?????
गीता का जो पाठ पढाया शायद कहीं खो गया
इस देश की नसीब देखो...यहाँ
अपना पराया हो गया .....
अर्जुन के तीर भी अब काम न आयेंगे
सर फिरे जहाँ में वो तीर भी
कमान में लौट आयेंगे .....
कुछ लोग मिलके करेंगे पुरे जहाँ का हिसाब
जस्मीन के पंखुडियो से होता आज
सच्चे रक्त का रिसाब ........
आज कहाँ पर हो प्रभु के संकट धर्म पर आया है
कर्म के कर्मठ रहों पर अब
काला साया छाया है ........
भ्रष्टाचार के बिगुल के शोर में
मुरली का सुर दब गया है ....
के मुरली के तार छेड़ कर भी
दुराचार कब गया है ?????
कुछ ऐसा काम करो प्रभु
के हट जाए ये आषाढी मेघ
रोशनी फिर से सूरज का हो
विकास का बढे वेग .....
लौट आओ अब धरा पर तुम की
अब धरा कापे हैं ...
हर निर्दोष यहाँ पर आज
खराब नसीब नापे हैं ......
किसी रूप में किसी रंग में
आओ तुम तो हो भला
सचाई का नहीं तो फिर
घुटने वाला यहाँ गला
Beautiful. :)
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