Thursday, June 9, 2011

Kya bataaoon...Kya hai tu (What you Are.....)

People say that it is very difficult to know how to actually describe the person you love. The person is actually an illusion that cannot be described but only felt to be fooled and then left alone. Love is both divine and selfish. This poem is showing only the good qualities of Love. An initial response of a lover is scripted in this poem.




कभी मैंने जो देखा था
अधूरा ख़्वाब है तू...
जहाँ से पुरे जो सवाल करता था मैं
शायद कहीं उस सावाल का जवाब है तू ......

दुखती रगों में मेरे
दुश्मन का वार है तू ...
कभी सुई की चुभन तो
कभी तलवार है तू .....
सुबह सुबह मिला कोई
ताज़ा खबर है तू....
रात की तन्हाई में कहीं
मेरा सबर है तू......

गली कुचे में गूंजती कहीं
शहद सी आवाज़ है तू ....
कभी ग़म की आख़री सांस
कभी खुशी का आगाज़ है तू .....
हुस्न पर फ़िदा है जो,
उनके लिए तू है आफताब ...
अक्ल के दाएरे से दूर है
नहीं है अब धडकनों का हिसाब

गरम साँसों पर सेंकती कुछ
ठंडी आँहों की लड़ी है तू
प्यार से देखकर कहीं घायल करदे
ऐसी कोई छडी है तू.....
दीदार मैंने तेरा किया पर
न मिती मेरे दिल की प्यास
मिलोगी कब तुम फिरसे मुझे
बस यही है एक आस .......

प्यार तुझे तो करते होंगे बहुत पर
मेरा प्यार कुछ कम नहीं......
मेरा दिल कहीं न हो तुझसे दूर
ज़माने का मुझे कोई ग़म नहीं ......

पलकों के नीचे तेरे मैंने
आशियाँ बनाया हैं कुछ यादों का .
रहने जो तुम न आओ इस घर में तो
मज़ार बनेगा तुम्हारे वादों का .....

पता मुझे है की इस बाज़ार में
वादों का कोई मोल नहीं होता
पर सच शायद है ये भी की
सूरत पर सीरत का भाव-तोल नहीं होता .....

सच की आदत अब नहीं मुझे
झूठ तेरी रास आती हैं
ज़िंदगी के हर मोड़ पर
तेरी सूरत पास आती है .......

2 comments:

  1. Wow. No words to describe my pleasure after reading this poem.. Nice work man. Keep it up.

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  2. Thank you very much Abhilaash. I am just trying to pen some words that I think.

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