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खामोश एक कोने में तू
बैठके सोचा करती है
जिसने कभी तोडा था दिल तेरा
आज उसीके प्यार में मरती है ....
क्या नहीं होता है जब दिल होता है बेक़रार ....
टूटे दिल को जोड़ देता है यह प्यार .....
तेरे कलाइओन में बंदी घड़ी में
जहां वक़्त की कमी रहती है ....
अफ़सोस अब आँखों में तेरे
आंसूं की नमी रहती है ......
बेवक्त ही तुझे इस इश्क ने किया बेज़ार
हर वक़्त अब तुझपे हावी रहता है प्यार.
बातें तो तू करता था हमेशा
करके नाप और तोल.....
अब उसी जुबां से कहता है तू
"मेरे बातों का क्या मोल? "
गूंजते आवाज़ को ले गया इश्क खामोशी के पार ...
अंगार भरे जुबां को बनता बेजुबान ये प्यार.......
कभी सर्कार तो कभी संचार
तो भड़कता तू कभी यारों पे
आज चुप है तू, लगता तुझे है
बसेरा है तेरा तारों पे .....
शोर भरे माहोल पर हुआ मौसिकी का वार ...
की औरंगजेब को तानसेन बनता है ये प्यार ....
आँखें जो तेरी हमेशा
उगलते थे गरम आग ...
कहीं उन आँखों के बीच
दिखा है आज अनुराग ...
कहता था तू के तुझे
नहीं है परवाह ...
आज तडपाती है तुझे
किसीके जुदाई की अफवाह
हर सख्त चट्टान पर हुयी हलके बादल की बौछार
की बंजर ज़मीन को भी नम करता है प्यार.......
क्या क्या होता है और क्या नहीं इस प्यार में
दिल कहीं होता है और जान कही
जज्बातों के व्यापार में ......
ये कैसा बाज़ार है जहाँ हर कोई लूटना चाहता है ....
की लूटके ही शायद शेहेंशाह होता है कोई प्यार में......
Everything changes.....Even Scientific Facts.....IN LOVE...
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