Friday, June 3, 2011

Pehli Baarish (The first Rains)

As the monsoon spreads its arms across Mumbai, the people already tortured by the scorching heat get some relief. The first rains are not only an indication for the relief from the summers but bring about a lot of change in life and its flows. The affects of first rains are felt not only in the body but also in the soul. As the heat disappears the soul is drenched in the downpour of water from the sky in form of the first rains.

My Poem below explores the idea of drenching in the first rain that hits the town.




पसीने से चिप चिप
दोपहर को आखरी सलाम मिला है
सूखे हुए मिटटी को आज
नया पयाम मिला है |
बूंदों ने भिगो दिया तपते जहाँ को
पहली बारिश का आज कलाम मिला है |

कभी जो पंछी तपते थे
सूरज की धुप में रुक कर
राहत उन्हें मिली है आज
ठन्डे बूंदों पर झुक कर |
रुकते कदमों को आज नयी उड़ान मिली है |
पहली बारिश की इन्हें परवान मिली है ....

सारे शेहेर में अंगारे
हर आँखों में रोष था
उस गुस्से में कहीं
बारिश के आने का जोश था |
उस जोश को आज नया अरमान मिला है |
पहली बारिश का इन्हें दान मिला है |

प्यार भरे दिल जो
तरसते थे एक मुलाक़ात के लिए
मजबूर जो दिल थे
गरम हालात के लिए ,
उन गरम साँसों को आज ठंडी आह मिली है |
पहली बारिश से कहीं नयी राह मिली है |

नयी सोच है, नए है सपने
नए बहाने मिले है जीने के |
कहीं कागज़ की नाव तो कहीं गरम पकोड़े
कहीं मिटते दर्द है सीने के |
ज़िंदगी के सफ़र को जैसे एक मकाम मिला है |
मंजिल तो वाही है बस थोडा आराम मिला है |

कहीं घटती दूरियां
तो कहीं कोई आता है करीब ...
कहीं मिलने की बेताबी तो
कहीं है मिलन का नसीब |
साँसों के बीच जैसे फासले घटते हैं ...
पहली बारिश में कुछ दीवारे कटते है |

भीग मैं रहा हूँ पर
ये कौनसी आग जलती है
बारिश के कातिल बूंदों में
कहीं जान मचलती है ...
गीले समां में कुछ नए बाँध टूट गए हैं
पहली बारिश में जुदाई के पल रूठ गए हैं |

होठों पर तेरे आज
नयी सी एक नमी है ....
खामोश अधरों पर आज
बस बातों की कमी है |
बातें तो दूर तेरी अदाएं भी बिजली गीराते हैं
पहली बारिश में मेरे सांसों को सहलाते हैं |

दूर है क्यों मुझसे तू
इस रंगीन माहोल में ?
क्यों है तन्हाई हर पल
शेहेर के शोरोगुल में ?
इस शोरोगुल में कहीं मेरे दिल की आवाज़ न दब जाये...
पहली बारिश में कहीं इश्क का परवाज़ न दब जाये |

इंतज़ार था कितने दिन से मुझे
बूंदों के शरारो का ......
पतझड़ को दूर छोड़ आज कहीं
बारिश ने दिया है पता
बहारों का ........................

Welcome the first rains with lots of love and hope.......

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