दुनिया जहाँ में जहाँ ख़ूबसूरती की कोई कमी नहीं हैं, वहीं ख़ूबसूरती का वखान आँखों के सिवा सोचना भी एक तरह की गलती है | पल भर भी अगर किसीको किसीकी ख़ूबसूरती की तारीफ़ का मौका दिया जाए तो वो सबसे ज्यादा वक़्त उनकी आँखों को देगा | अपने अल्फाजों में सबसे ज्यादा ज़िक्र शायद आँखों का ही होगा | आँखें, जो कभी नज़रें इनायत बरसाती हैं तो कभी चुपके से बंध होती है और खुद के अन्दर झांकती हैं | आँखे, जो कभी लजाते झरोखों से इशारे करती हैं तो कहीं रोष भरे नज़रों से अपनी नाराजगी ज़ाहिर करती हैं | आँखों की भाषा हर एक आँख समझ जाता हैं, इसीलिए शायद दो लोग अगर एक दुसरे की ज़बान न समझे तो वोह अपने आँखों से बाते कर लेते हैं|
नीचे को कविता हैं वो इन्ही आँखों के गुणों को दर्शाती हैं .....
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इस ज़मीन पर मुजस्समे तो बने बहुत है
नहीं बनी तो बस तेरी आँखें ,
छलकते जामो के बीच टपकती शराब
नशे से ज्यादा नशीली तेरी आँखें ....
कुछ इस तरह पलकों का तुने जाल बिछाया है...
अँधेरे में जैसे हो कोई रोशन काया है...
पल भर में यह सुकून है तो पल में है मेहताब
सुरों के तारो से ज्यादा सुरीली तेरी आँखें ...
काश यह आँखें तेरी बोल पाते जोर से
चुप कराते फिर दुनिया को यह अपनी नज़रों के शोर से
कुछ लगती है ये अच्छी की हर बात लगी खराब
चाशनी के बूंदों से मीठी तेरी ये आँखें ......
(मक्ता)
चाँद की चांदनी से नहाई इन नज़रों पर
चाँद के तासुर की इनायत हो शायद
उस रब को कहीं नज़र न लगे तुझ से
उस रब को भी इन आँखों से मोहब्बत हो शायद
दिल के किसी कोने में ये पलक झपकाते होले से
होशवालों को बहकाते ये नशीले प्याले से ...
हर सवाल का बस है ये खूबसूरत जवाब
जिस्म से रूह को चीरती नज़रें तेरी आँखें .....
इन आँखों में हया है तो है कहीं रोष भी
मदमस्ती के आलम में है इन्हें होश भी
काजल के घेरे में हैं जैसे लीची की राब
हर अंदाज़ से बढ़कर अंदाज़ तेरी आँखें ....
ये आँखें बोलती है कुछ हज़ार कहानियां
ग़म के वक़्त है इनमे आंसूं की रवानिया ...
हर वक़्त इनमे होती हरक़तें लाजवाब ....
हर मर्ज़ की शायद दावा हैं तेरी आँखें ....
मुझे आते देख प्यार से टकराना नज़रें
फिर उन नज़रों से करना मुझे घायल ...
ये आँखें हैं के हैं कोई रंग महल
बिन घुंघरू जहाँ बजे पायल ......
इन आँखों को यूँ ही मैं निहारता हूँ
देखता हूँ इन आँखों तो देखते हुए ....
फिर चुपके से नज़र फिराता हूँ मैं
तेरी आँखों पर कुछ अलफ़ाज़ लिखते हुए
दक्कन की बरसात हैं इनमे
पहाडी की है इनमे ठंडक ...
इनमे पूरब का रोशन वजूद भी है ...
है इनमे कश्मीर की मेथी महक
देश जहाँ मेरा लड़ता है टुकडो में पल पल
बिखरता जहाँ कहीं हो आने वाला कल
हर टकराव का ये नज़रें देती जवाब है ....
दुनिया को रोशन करती हैं तेरी आँखें ....
Beautiful thoughts:)
ReplyDeleteThanks a lot Saru..
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