This is the story of a lover who did not lose hope in love... He met a practical fate but then did not bow down.
The byproduct of Love was his MBA.... However meant nothing to him after all...
याद है मुझे वह दिन जब घर तेरे हाथ मांगने आया था
याद है मुझे वह दिन जब औकात का सबक पाया था
सैलरी स्लिप में शुन्य काम थे और प्यार कुछ ज़्यादा था
कॉर्पोरेट दुनिया का मैं मामूली प्यादा था
दफ्नाके रखा मैंने तेरे बाप के दुत्कार को
चीनी में घोल के पी गया तेरे बेवफा इनकार को
फिर तेरे ही चाहत का मेहेंगा मक़बरा बना दिया
तेरे इश्क़ में मैंने M B A कर लिया
बस गयी तू अमरीका में
तेरे ready made पति के साथ
लड़की से तू अफूस बनी और
Export हुई हाथ ओ हाथ
तेरे हर गिरगिट के रंगों से मैंने नाता जोड़ लिए
तेरे इश्क़ में मैंने M B A कर लिया
दुनियादारी का सबक यह किताब क्या सिखाते मुझे
तेरे प्यार ने तो वैसे ही दुनिया का चेरा दिखाया था
फिर भी सुनता रहा इनकी बकर को मैं दो साल
आखिर तेरे प्यार ने ही तो मुझे मिटाया था
पूल के इस पर खड़ा था अब पूल मैंने पर कर लिया
तेरे इश्क़ में मैंने M B A कर लिया।
औकात आज मेरी तेरे बाप से ज़्यादा है
उसे भी सबक सिखाने का इरादा है
पर सोचता हूँ क्यों गरीब की लुटिया डुबोऊँ
बेकार अपने हाथ गटर में धोऊ
इश्क़ था इसलिए M B A किया
फिर एक जाम उसके साथ पिया
जिसने मुझसे इश्क़ किया
आर्ट्स की पास आउट है वो ........तसवीरें बनाती है .......
ज़िंदगी को हर रोज़ नए नज़र से बताती है
फर्क उसे मेरे डिग्री का पड़ता नहीं
फर्क उसे मेरे सैलरी स्लिप का नहीं
टपरी पे चाय भी वो मेरे साथ पीती है
धीमे धीमे से कभी कोई गीत गन-गुनाती है
हीरो के हार से ज़्यादा ओस की बूंदे उसे प्यारी है
दुनिया पहले......... बाद में दुनियादारी है
इश्क़ हुआ ऐसे की तेरी बेवफाई को माफ़ कर दिया
हां आज मैंने तुझे मेरे दिल से साफ़ कर दिया
पर अफ़सोस इस बात का फिर भी रहेगा
क्यों तेरे इश्क में M B A कर लिया
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