Thursday, June 16, 2016

"Old Fashioned" हूँ पर इंसान हूँ


माना की आज e-books भी मिलते है
  पर मज़ा मुझे पन्ने पलटने में आता है
कहीं बीच में तेरा दिया वह गुलाब जो बासी है
   उसका रंग अभी भी लुभाता है। 
अभी भी तेरी याद में बेचैन हूँ। 
  "Old Fashoined" हूँ पर इंसान हूँ। 

इक़रार इ मोहब्बत करता अगर facebook पे
    तो शरारती मुसकुराहट कहाँ मैं देख पाता
ढाई इंच के कमेंट बॉक्स पे
     बस एक बेजान सा "Sticker" नज़र आता। 
बिजली के तारो के बीच कहाँ दिल के तार जुड़ते है
    यहाँ तो बस "Like" और "comment" उड़ते है। 
डर भी लगता है  मुझे के जज़्बात मेरे "Share" न हो जाए
     इस अफरा तफरी में इश्क़ बेज़ार न हो जाए।
खुद ही मैं अपना अभिमान हूँ। 
   "Old Fashioned" हूँ पर इंसान हूँ। 

आज भी मैं मेरे दोस्तों के गले मिलता हूँ
    ख़ुशी हो ग़म हो , कम सही, बांटता हूँ
समझ नहीं आयी मुझे अभी भी इन तारों की सियासत
    इसीलिए उन्हें ज़िंदा निहारता हूँ। 
उँगलियों के दबाव से बनते बिगड़ते रिश्ते
     अचानक सर झुकके टिकाते रिश्ते
उन्हें कुछ रिश्तों से मैं असावधान हूँ
   "Old Fashioned" हूँ पर इंसान हूँ। 

No comments:

Post a Comment