Many of us are unaware of the demon within that lies silent and is the biggest killer...
एक राक्षस है अंदर कहीं
छुपा हुआ , है इंतज़ार उसे पनपने का
मिलता है मुझे वह मेरे अंदर कभी कभी
नहीं तो चुपके से रहता है मेरे दफ्तर के तहखानों में
इस चूहे दौड़ के अंत में वह करता है
मेरा इस्तक़बाल
उगलता है कुछ तेज़ ज़हर वो
चुपके से मेरे कानों में
लगता हैं लोगो को ये तरक़्क़ी है पर
खोखलापन अंदर का कहाँ नज़र आता है
अंदर ही अंदर मेरा राक्षस मेरे
मन में जगह बनाता है
मेरे आस पास मेरे मेहरबानो को करता है दरकिनार
मारता है उन्हें खंजर पीठ पर मीठे ज़बानो से
हर दुआ में छिपी बद्दुआ को अच्छे से ढांक देता है
राक्षस मेरा सबके मनमे ठीक झाँक लेता है
ये राक्षस है जो कहता है मुझको
थोड़ा वक़्त और गुज़ारले...
जीने के लिए वक़्त बहुत है
आज थोड़ा सा मर ले
Cheers...
Kalyan