What is Polyandry? Is it practiced in India?
Picture showing Queen Draupadi with the five Pandavas |
Todas from the Nilgiri Hills |
The
village of Kinnaur in Himachal Pradesh is still practicing Polyandry, Todas are
the tribes from Nilgiri hills who practice polyandry. Polyandry is also practiced
in Kerala even today. Therefore, it is not an outdated concept and definitely
not Immoral. Places in Uttarakhand (Jaunsar-Bawar) also have examples of practice
of polyandry.
My Take on Polyandry:
I was
asked to write pieces on polyandry and initially I was very apprehensive. Being
a writer in Urdu, I wanted to be really non-judgmental about writing the same.
Therefore, I decided that I will write two different pieces on polyandry and
they will be from different perspectives all together. One would be from the
male perspective. A man who is a part of a polyamorous relationship and another
will be from the point of view of woman who is the fulcrum of such a
relationship.
Polyandry is an ancient concept with modern virtues |
Polyandry in Urdu is called Kaser Shoree (कसेर शोरी ) and the female who is the fulcrum of this relationship is called Kaser Shoraa (कसेर शोरा ). Two of my poems are based on these two concepts. The language is simple with some words that you will need to have a look on deeply.
My
message to you is not to be judgmental about anybody while reading such
things. Such things are practiced and are as modern as any modern technology
like 5G and Internet. Basically, as we will dig deep into our culture we will
come to know that things that were actually asked to be banned were more free
and more emancipating than the present system that involves a lot of control
and prohibition.
Well
let us explore these things in our stride then.
My two Poems on Polyandry in Urdu Language:
As I said before, I took up this challenge to write the poems based on this extremely complex concept from two points of views, from the male point of view and from the female point of view. So here are the two different poems for the same.
कसेर शोरी (Male Perspective)
I have always though of exploring the idea of
how it would be for a man to enter a polyandric relationship . While the whole
society may be calling it immoral,
calling the girl names, calling
the men non-masculine and a lot of that.
But today let us isolate the society and understand how does it feel for
a man who is in love with a woman already in love with another man. When the woman accepts the fact that she is
ready for a dual relationship, what is
the impact in his thought process and how he feels or rather should feel.
Many people have been putting their stamps on
Polygamy and how it was justified. If Polygamy was a necessity then why is
Polyandry a sin?
मोहब्बत ग़र न हो मुकम्मल एक मंज़िल से
कोई बात नहीं, दोनो से मोहब्बत ले लो।
वजाहत ले लो उससे, हमसे ज़हानत ले लो।
कसेर शोरी, ये हो रहा पहली बार नहीं।
हो सके तो दिल से अपने हिदायत ले लों।
दो फेफड़े अगर लगते हो ख़ातिर साँस लेने के
दो आशिक़ फिर कहाँ दोज़ख़ तुम्हें पहुँचाएंगे।
ग़र न मानोगी अपने दिल के आज़ाद ख़याल
बहुत से दोज़ख़ इस जहां में बन जाएंगे।
आवारा ग़र मेरा दिल है मेरी हमनशीं
तो तेरी आवारगी कहाँ सज़ा की हक़दार है
दिल तो दिल है, आदम या ज़नाना।
ये बस धड़कनों का ही फरमाबरदार है।
मुझे मुसर्रत है और कोई हैरत नहीं
कि तु मेरी तन्हा कोई दिलरुबा नहीं
ग़म तो तब होता सनम मेरी जो कहती
कि तुझे किसी और से इश्क़ हुआ नहीं।
ये तेरा इश्क़ का एक कतरा मुझे महकाता है
मेरा प्यार कोई आज़ का मुरीद नहीं सनम
मुझे रक़ीब के साथ भी जीना आता है।
बशर्ते इस रिश्ते में इज्ज़त की कमी न हो
हमारा प्यार रहें यों ही बरकरार दिन दिनो
बनें रहें सारे मुख्फी असरार दिन दिनो
रफ्ता रफ्ता गिले शिकवे हो जाए तहलील
ज़माने को कर अंदेखा कोई मोहब्बत हो तवील।
मुझे किसी बात का कोई मलाल न होगा
कि अग़र ये बात ज़माने को गवारा हो
कि मैं होकर आदम कितना भी बहकू
फिर ये गुनाह कहाँ ग़र तेरा दिल आवारा हो।
उस आवारा दिल से ही मुझे मोहब्बत है।
अपनी थोड़ी मोहब्बत दे कर मेरी मोहब्बत ले लो
वजाहत ले लो उससे सनम, हमसे ज़हानत ले लो।
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ZalZala
कसेर शोरा
(Female Perspective)
ये दिल मेरा अपने तर्ज पर ही धड़कता है
तो क्या हुआ ग़र कुछ धड़कनों में तेरा नाम है
और कुछ पल लिए रक़ीब तेरे धड़कता है?
मोहब्बत का बटवारा मुझसे हुआ नहीं
ज़र्ब मोहब्बत को मैने कर लिया।
ज़माना कितना भी नामुमकिन कहे इसे
चाहत दोनो से कर लिया।
तुम्हारा हक़ है तुम अपनी राय बनालो
वो ही जो ये मुआश्रा मेरे लिये बनायेगा
कोई लावारिस जागीर मानिंद ये
मुझपर अपना हक जताएगा
हाँ, सच कहती हूं तुम भी गुट बनालो
हाँ, सच कहती हूं तुम खुद को बुझालो
पर वो जो प्यार के तुम शायद हकदार थे
अब उस प्यार को तुम गवा लो।
तुम मेरा प्यार हो, और शायद वो भी।
मेरे दिल के हिस्सेदार हो, और वो भी।
मैं दो दिलों कि मालकिन नहीं तो न सही
तुम दिल के किरायेदार हो, और वो भी।
वक़्त को तकसीम करना मुझे आता है
हाँ वक़्त दोनो को देना मुझे आता है।
दोनो को हिज्र ओ वस्ल का सुकून देती हूं।
बटी हुई मोहब्बत नहीं दे रही मैं तुमको
दोनो को मोहब्बत दो गुन देती हूं।
मैने इज्ज़त-अवज़ाई में कमी तो न रखी है!
उलफत-ए-शनासाई में कमी तो न रखी है!
हाँ! जो ये रुसवाई है, वो कुछ आरज़ी है।
रहूं मैं सुकून से तुम दोनो के साथ, येही पर
ये ज़माने की नहीं, ये मेरी मर्ज़ी है।
ये जो लोग उंगली हम पर बकसरत उठाते
ये कोई ज़िंदगी जी रहे है दश्त नुमा सनम
ये कोई ज़मीन को खोद तो पाते है मगर
उस पर हम जैसे गुल नहीं खिला पाते।
तभी मैं कहती हूं मेरे दिलबर, और दिल से
तुम मेरी ज़िंदगी में कोई दुसरा शक्स नहीं
तुम तो वो पहला प्यार हो, जो दोबारा किया है
जानती हो मैं कि वक़्त कम होता है यहां
पर मेरी क्या ख़ता जो सलीके से गुज़ारा किया है।
मुझे तुम दोनो से सुरगरूर होना आता है
ये भी कहना कि ज़िंदगी में मेरे दो सहारे है
कुछ ग़म उसको दिए मैने, और कुछ तुम्हारे है।
तवायफ़, कसेर शोरा, जिन्सी, ये सब उनवान
जो ये बेमतलब दुनिया मुझे तजवीज़ करेगी
ये सब तोहमत, मैं हस कर ले लुंगी, लिए तुम्हारे
क्योंकि आरज़ी वफा तो तवायफ़ भी निभाती है।
मोहब्बत का अहद तो वो भी कर जाती है।
और मैं!!! मैने तो शिद्दत से मोहब्बत निभाई है
ये और बात है ये हमारा रिश्ता तसव्वुर से परे
दिल मेरा है कुछ मसनद मानिंद, सनम
क्या ख़ता मेरी जो इसमें दो ख्वाबगाह है
एक उसके लिए, तो एक तेरे लिए सजाई है।
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ZalZala
Kaser
Shora is a Polyamorist. There are
various things that the society calls her and is a kind of unjust behavior
because the same kind of banter is not meated out to a polygamist. Polygamy, was termed as a social necessity in
one time giving it an excuse to provide a proper system of protecting more
women.
Well
today in the times of empowered women can't a women enjoy the same privileges
by providing equal level of support and love to two weak men? Why would we become the judge, jury and
executioner in that case? Why would we become the law of love?
And finally:
The easiest job these days is to become an unwarranted judge and pass judgements left right and center to all of them. However, it is not so easy for a person who is actually on the receiving side. Society has been built by the concepts that have been a cumulative function of education and time. Therefore, to out rightly dismiss a particular concept calling it immoral and prurient is the worst thing that can happen.
Anything that is ancient need not be outdated. That way even Sun and the Moon are ancient but then they are universal.
So let us keep a broad outlook.
Cheers
ZalZala (Kalyan)