Sunday, July 31, 2011

प्यार की गहराई (Depth of Love.....)


There are some moments, when it becomes very difficult to actually know the pertinence of the romantic feelings that are reeling under one's heart. Love has many flavors but then it is not the feeling that makes Love more complex but it is the multiple facets that Love actually bears which metamorphoses it from being just a feeling to being a phenomenon. The poem below of mine explains the depth of love that one may actually feel or bear.


I am sure every body has some or the other time introspected the same and found this out.

जहाँ किसीने छान मारा फिर
तेरी बाहों में तलाश रुकी है
उन हाथों के छूने का कहना क्या
उन हाथों के नीचे दुनिया झुकी हैं
अजीब ये कशिश है तेरी जो मुझे करीब ले आई
मिला तुमसे तो कुछ और बड़ी प्यार की गहराई ......


ज़ख्म जो भी थे हरे वो
ज़ख्म कहीं भरते चले
डूबे डूबे से हम तेरे इश्क में
प्यार के दरिया में तरते चले
दूर कहीं रह गया अक्स मेरा खुमारी है छाई
के जब डूबा तेरे प्यार में तब नापा प्यार की गहराई ......


काले बालो के साए में कहीं
सूना जो हैं प्यार का जाहाँ
उन बालो के अंधेरो में देखू
आखिर मैं हूँ कहाँ ?
कहीं आग लगी जुदाई की तो कहीं उम्मीद सी है आई
के मिलके तुमसे अरसे बाद समझा प्यार की गहराई....


सुना था मैंने किसी पागल से
जनम जनम तक ये मिटता नहीं
जो बंधन बंधे हो प्यार से वो
ज़माने के तरीकों में सिमटता नहीं
इश्क ने साथ अपने हैं कुछ मजबूरी भी लाई
ज़माने से जूज कर समझा मैंने प्यार की गहराई ......


निशाँ तेरे नाखूनों का है
अभी भी मेरे कितने करीब
वोह सर्द रातें आज भी कहीं
लिखती हैं मेरा नसीब
गर्म साँसों के बीच चलती ठंडी सी पुरवाई
कुछ "आह" है और कुछ "आहा!" ये प्यार की गहराई


टिप टिप बरसते पानी की बूँदें
होंठों को तेरे भिगोते हैं ...
खुशनसीब वो बूँदें हैं जो
गिरके भी तुम्हारे होते हैं
सावन के आड़ में छुपी हैं अब मेरी हर तन्हाई
अकेला पड़ा मन तो समझा प्यार की गहराई .....

हमारी साँसों के बीच चलते
कुछ एहसास हमें पिघलाते हैं
दूर ...जो दूर गए वो ख्वाब
वो ख्वाब फिर दिखलाते हैं ....
आँखों से उतर कर तू मेरे दिल में हैं आई
के डूब के उस एहसास में जाना प्यार की गहराई ........

उम्मीदों के टकराव हो रहा हैं
रिश्तों में ठहराव आ रहा है
अब कहीं लगता हैं के पास मेरे हैं तू
न बुझी जो वो प्यास मेरी हैं तू
तुझे पाके भी क्यों हैं मुझे एहसास ए जुदाई
पास मेरे बस रही तेरे प्यार की गहराई .......

गहरे पानी की तरह प्यार भी खामोश हैं मेरा
कुछ बेपते जज़्बात .....दिल भी मदहोश हैं मेरा
डर लगता है मुझे की कहने से तुझे न हो रुसवाई
झिझक जिसे तू समझी वो है प्यार की गहराई ........

कहते कुछ लोग हैं की आँखों से बातें होती हैं
पलकों के आड़ में ...दिन में चांदनी रातें होती हैं...
फिर मुझसे ही तुमने क्यों आँखें हैं चुराई
दिल बुझता हैं देख ये प्यार की गहराई.........

इस प्यार को शायद मैं नाम न दू
खय्याम का कोइ कलाम न दू
पर मुझे बेनाम मेरे प्यार ने डूबाया हैं
तुझसे दिल लगाके दिल में ठेस लगाया हैं
अगर समझ में तुम्हे अब भी न आए तो फिर लो अंगड़ाई
के हमें सोने न देगी हमारे प्यार की गहराई ...




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