
तेरी हर अदा को मैं करता हूँ याद
दूर हूँ तुझसे पर मेरी हर सांस
निकलती है मेरे बदन से
तेरा नाम लेने के बाद .............
इन हवाओं में कहीं तुम्हारा निशान तो है
खो गया जो कहीं, मेरा जहाँ तो है
तुमसे यूँही कभी मैं जो करू बातें
धीरे धीरे से बीत जाएँ मेरी हर रातें
तुम नहीं हो मेरे पास पर
खुशबू तुम्हारे साँसों की है,
ओस की वो बूँदें सुख गयी है पर
नमी आज भी एहसासों की है|
दिल, धड़कन, जान ये सब कहीं
आज बातें पुरानी लगती है
वो इश्क जो था पुरजोर कभी,
आज एक भूली कहानी लगती हैं |
अरसा सा बीत गया देख के
तुम्हारे होंठों पर वो मीठी मुस्कान |
सूखे से बागीचे में आज
वीरान सा कुछ है बागबान |
होंठों के नीचे वो तिल जो है
आज कुछ धुंधला सा हुआ यादों में,
मेरे दिल के किसी कोने में
कहीं ज़िक्र तो तेरा आया कुछ वादों में |
सकपकाती बिजली जब गिरती है कहीं गाँव में
अँधेरा भी जब कभी ढूंढता बसेरा छाओं में ,
तब कभी मेरी याद तुम्हे थोडा तो सतायेंगे,
तुम्हारे खुशाली में भी वो कुछ तो तुम्हे रुलाएंगे|
पर मैं चाहता हूँ बस एक झलक मुस्कान की
गिरवी जो है तुम्हारे पास.....खैर चाहता हूँ उस जान की |
जलाती तुम हो....बुझाती तुम हो....फीर आज क्योँ हो खामोश,
तुम्हारी ये चुप्पी भी शायद मुझे कर देगी बेहोश |
बरसात की वो दो बूँदें जो गिरी थी तेरे गालों पर
बूँदें जो गिरे बनके जवाब मेरे हर सवालों पर
वो सवाल आज मैं फिर से तुमसे रहा हूँ पूछ
इस दो-राहे में मैं आज भी रहा हूँ जूज
मुझे तुम बता दो की तुम्हे मुझसे प्यार नहीं
मेरे जान के सड़के का भी तुम्हे एतबार नहीं
एक बार कहदो की आँखे तुम्हारी सच करती नहीं बयां
इन आँखों में दूर दूर तक नहीं मेरा कोई निशाँ
Why to go so far from someone, that such questions crop up. So stay close, and stay clear.
Kalyan
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