Welcome to my page... In this page you see myself who is not mature... Who is willing to experiment and willing to mix. A page that is a retrospective view of a kaleidoscope called life. A page to pen down my free thoughts.....
Friday, January 6, 2012
सरफिरी हवा......और तुम्हारी जुल्फें .....
सर फिरि हवाओं ने क्यों
छेड़ा है तुम्हारे जुल्फों को ?
काले घने बादल के जैसे
लहराते ये शरारती हवाओं में .....
कुछ तो बात होगी की हर सजदे से पहले
याद आते हो तुम मुझे दुआओं में .......
दिल का हाल फिलहाल
है ठीक पर, न जाने क्यों
इस दिल को भी शायद किया हैं पागल
लहराते जुल्फों के बादल ने
कहीं संभाला तो सिर्फ संभाला उसीने
पागल हवा के आँचल ने .....
सर फिरे वो हवा जभी भी हरक़त करते हैं
न जाने क्यों हम सांस लेके भी तुम पे मरते हैं
कसूर नहीं हवाओं का पर उन लहराते जुल्फों का हैं
जिनकी वजह से हम आज भी उन सरफिरे हवाओं को याद करते हैं ......
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