I seriously wonder that has slavery literally entered our soul. India, was a slave for 200 years to the British, for 100 years to the Moghuls and now the people of this country are just slaves of this new tyrant called Democracy. Democracy that is being operated by all the wrong means and that too by a foreign lady whose relatives and herself is involved in so many scams that have taken international picture. Today as our country is fighting with inflation and terrorism she and her cabinet is making an utter mockery of our feelings.
In the name of democracy we have had the dynastic rule for more than 55 years. Do we still need or understand democracy? Why are we bearing with this nonsense? Why are we even believing the fact that our administration is caring for us? Why are we actually even paying any heed to their long talks? An administration that cannot protect people in the cities, villages; an administration that cannot control prices of essential goods and on top of that play with the lives of people can be only given the title of a tyrant. This tyrant is not Indian. It is being ruled by a foreigner. A lady who is actually not belonging to this country. She is an outsider trying to control the lives of many people like you and me. And the funniest thing is that people who are qualified and educated are running around behind her like naked dogs.
My poem below is not an expression of my Anger towards the recent events that has shaken up my city Mumbai, but these are culminated feelings that I actually have towards the UPA government that is busy selling our country to malicious elements.
इस सरकार का कहना क्या
ये करती सच्चाई से इनकार हैं
लाशो के ऊपर बैठे नेता
क्या सच में इनकी दरकार हैं ???
रोटी महंगा मेहेंगा है कपड़ा
मेहेंगा हुआ मकान हैं ....
इटली की सुन्दरी के राज में
अब आफत में अपनी जान हैं |
याद आया मुझे जब
गोरे राज करते थे
खून से नहाकर जब वो
अपनी मौज करते थे
फर्क सिर्फ आज है इतना
कुर्सी पे बैठे हमारे नेता है
वो बस देता वादों का दिलासा
बाकी सब कुछ लेता हैं
पैसे लिए, ली जगह
अब लेता सन्मान हैं
इटली के सुन्दरी के राज में
आफत में पडी जान हैं ......
चिकनी चिकनी बातें इनकी
ऊपर से हैं लन्दन की डिग्री
चमचे सभी इधर-उधर
करते हैं मिलके देश की बिक्री ...
फ़ोन की बातों से कोइन महल खड़ा करता हैं
तो कहीं पेहेनके लूंगी देश को देहेलाता हैं ...
जवानो की ज़िंदगी से कोई करता खिलवाड़ हैं...
तो कोई फिर मेहेंगाई की आड़ में बहलाता हैं .....
इतने है निकम्मे फिर भी
सीना देते तान हैं .....
इटली के सुन्दरी के राज में
आफत में पडी जान हैं ......
बेटा इनका चतुर बहुत
बातें करते चाक चौबंद
पर बातें इनकी बातें हैं बस
आम आदमी की साँसें बंध
टहलने जाते उत्तर प्रदेश
मुंबई की लोकल में भी आते हैं
पर जब हो संकट की घड़ी
तब बकवास ही ये करते हैं .....
क्या करें आखिर जनाब
बेटे यह महान हैं ....
इटली के सुन्दरी के राज में
आफत में पडी जान हैं ......
सोचती सरकार है ये
खून कैसे और पियु
दराके धमकाके इस जनता को
पांच साल और जीयु ..
वित्त मंत्री चलाते हैं मेहेंगाई की तलवार
तो गृह मंत्री करते हैं आतंकवाद का वार ...
बावजूद इसके कहेते है "हम कल के लिए तैयार हैं"
बताओ यारो अब इस सरकार की क्या दरकार हैं ?
परियावरण का करते शोषण मंत्री जी महान हैं
असिक्षित हैं कितने पर शिक्षा का गुण-गान हैं
गरीबी के पीछे ये सोमरस करते पान हैं
आम आदमी चीख रहा पर बंध इनके कान हैं ....
उग्रवादी साथ है इनके तो डर इन्हें लगता नहीं ...
ज़मीर जो सोया इनका तो धमाको से भी जगता नहीं ....
इंसान जो बनाते हैं इन्हें उनकी जान तो एक खेल हैं
हर बुराई और हर बदी से इनका होता इनका मेल हैं
ग़ुलामी की शायद है आदत हमको
इसलिए को गिरवी रखा मान हैं ...
इटली के सुन्दरी के राज में
आफत में पडी जान हैं .....
तोड़ो अब ज़ंजीरो को ये
इन बंदरो को दो हकाल ...
बुधी सोच इनकी नहीं चलेगी
सोच के साथ इन्हें भी दो निकाल
बहुत हो गया राज हम पर
तवायफ कहीं दूर देश का
ज़रुरत अब हमे हैं सख्त ज़बान की
और हैं उग्र वेश का ....
जो कहते हैं अब शांत रहों
शांत उन्हें अब तुम कर दो
जो थकते नहीं तुम्हे लूटने से
क्लांत उन्हें अब तुम कर दो
मत भूलो अब दाव पर
तुम्हारा पूरा जहान हैं ...
इटली के सुन्दरी के राज में
आफत में पडी जान हैं .....
दुम हिलाते कुछ लोग यहाँ
लाते कमजोरी का बुखार हैं
कुत्तो से घिरी लोक-सभा हैं
और हम कहते इसे सरकार हैं ...
इस सरकार की क्या दरकार हैं ?????
Rip Appart this bloody system and throw her out of this country.
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