Tuesday, October 30, 2018

Mehroom (Reverse Sonet)

I have always wondered how would a reverse Sonet look like in Hindi. Had read that it is really difficult to compose one... Sestet (six lines) in the beginning and then the octet (eight lines of conclusions) as opposed to a conservative Sonet which has Octet followed by the Sestet.  This is a small try on a subject... Hope to do better as time goes on. 

Regards

 Kalyan

मेहरूम 

आग़ाज़ तो बुलंद थी पर कहीं तो कमी रही होगी 
इस तरह रुक्सत हुए हम तेरे जहाँ से 
इन्तहा में कुछ तो कमी होगी 
तारीख गिनना मुझे कहाँ आता है, माज़ी की मुनीम तो तुम थी 
फिर भी अच्छे लम्हे तुम भूल गए 
याददाश्त में कुछ तो कमी होगी  ...... 

दिल पे हाथ रख के कहना 
"मैंने कोशिश नहीं की !" हर पल हर सांस 
मेरी ज़िंदगी में कुछ अनकही बातें जो ज़बान पे नहीं आयी 
अल्फाज़ो से महरूम उन बातों को मैं कहना चाहता हूँ। 
पर कहीं आवाज़ की कमी होगी , जो रहे आवाज़ तो,
हमनवाज़ की कमी होगी पर यह सच है सुकून होगा,
अल्फाज़ो से महरूम उन बातों पे इश्क़ का जूनून होगा   ...... 

Saturday, October 27, 2018

Dar Lagta hai!!!!!!

मोहब्बत से परहेज़ नहीं मुझे 
दिल्लगी से डर  लगता है 
मौत तो एक दिन आनी है, सच है 
ज़िंदगी से डर लगता है 

प्यार अगर सच्चा है तो, ज़माने से क्यों छुपाते हो 
इश्क़ की तुम्हारी दास्ताँ बेढंग है 
या तुम्हे ज़माने से डर लगता है ?

नज़रफ़रेब हुस्न हो या पाक शबनम रूह 
उल्फत के इम्तहानों से पुरे जहाँ  को डर लगता है 

इश्क़ के फलसफे लिखे है दिल के हर सफो पे पर 
सुर्ख सयाही को उड़ेलने में सबको डर लगता है

खुश हूँ मैं आज खुदगर्ज़ बनके, 
उल्फत प्यार को बदनाम करके, 
डर का नाम नहीं हैं, 
हर पल पाना , हर पल खोना 
थोड़ा थोड़ा हर पल जीना 
अय्याशी  के घुट पीना 

क्या कहूँ...... अब डर को भी डर लगता है।